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SURYAKANT MAJALKAR

Inspirational

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SURYAKANT MAJALKAR

Inspirational

माँ है न वो!

माँ है न वो!

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एक कविता लिखी थी मैंने माँ के ऊपर,

जिसमें सच्चाई बयान करने की कोशिश की है मैंने,

कभी सामने कहने की हिम्मत नहीं हुई मेरी।

कोई पढ़ेगा तो क्या कहेगा, ये सोचकर शब्द लिखे,

तो उन तक बात पहुँचने का कोई मतलब नहीं था।

पर लिखा मैंने।

मुझे पत्ता है वो पढ़ेगी तो समझ जायेगी,

क्योंकि मेरी बातों के पीछे का मतलब वो

बचपन से समझ भाप लेती है!

तो आश्चर्य न करो माँ को पुछो ,

पर वो नहीं बतायेगी, कुछ अच्छा ही बतायेंगी।

क्यों की माँ है ना वो।


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