माँ बहुत याद आती है . . .
माँ बहुत याद आती है . . .
जब जीवन है आसान तो क्या जरूरत यादों की
जब जीवन में वीराने हों तब माँ बहुत याद आती है
माँ बहुत याद आती है
रोज़ सुलझाती हूँ जीवन के ताने बाने
कुछ सुलझे कुछ अनसुलझे
जब जूझती हूँ जीवन से तब माँ बहुत याद आती है
माँ बहुत याद आती है
अब माँ नहीं है पास में
पर में हूँ उनसे मिलने की आस में
परमात्मा से करती हूँ विनती मिला दे मुझे मेरी माँ से
सोचती हूँ जब मिलूंगी तो कुछ अपनी कहूंगी कुछ उनकी सुनूंगी
प्रार्थना करते करते आँसू छलक जाते है तब माँ बहुत याद आती है
माँ बहुत याद आती है
कहीं घूमने जाती हूँ हँसती और हँसाती हूँ
माँ के खिलखिलाते चेहरे की तस्वीर खड़ी सामने पाती हूँ
जब कुछ पल में ही हो जाती ओझल वह तस्वीर
तब माँ बहुत याद आती है
माँ बहुत याद आती है
यूं तो बहुत संतुष्ट है जीवन मेरा
पर फिर भी चैन की नींद ना आये तब माँ बहुत याद आती है
माँ बहुत याद आती है
तबियत ख़राब होने पर चिल्लाती थी माँ को पास बुलाती थी
उनकी गोदी में सर रखकर चैन से सो जाती थी
जब दर्द में भी दौड़ लगाती हूँ तब माँ बहुत याद आती है
माँ बहुत याद आती है
ये तो जीवन चक्र है प्यारे
समय का पहिया चलता है
कल जहाँ मेरी माँ खड़ी थी वही खुद को खड़ा पाती हूँ
माँ करती हूँ ये वादा तुझसे अपने सारे फ़र्ज़ निभाऊंगी
तेरी सिखाई सीख पे चल के जग में नाम कमाऊंगी
तेरी सीख की धरोहर अपने बच्चो को दे जाऊँगी
तू नहीं तो क्या तेरी यादें रहेंगी जिंदा सदा
तब माँ बहुत याद आती है
माँ बहुत याद आती है!