रिश्तों में कुछ नए रंग भरते हैं
रिश्तों में कुछ नए रंग भरते हैं
चलो आज फिर रिश्तों में कुछ नए रंग भरते हैं
कौन अपना कौन पराया कुछ फर्क नहीं करते हैं
चलो रिश्तों में कुछ रंग भरते हैं!
बहुत परेशान थे जीवन की इस आपा धापी से
अब जो फुर्सत के पल मिले हैं उन्हें सुकून से भरते हैं
कुछ दूसरों की सुनते हैं कुछ अपनी सुनाते हैं
चलो रिश्तों में कुछ रंग भरते हैं!
जिनसे बात करने को तरसते थे
जिनका वक़्त टुकड़ो में पाते थे
आनंद उस वक़्त का अब पूरा उठाते हैं
चलो रिश्तों में कुछ रंग भरते हैं!
माना कि मिल नहीं सकते हम अपनों से
दूर से ही सही चलो उनके संग सपने सजाते हैं
सपनो के पंख लगाकर यादों में सफर करते हैं
चलो रिश्तों में कुछ रंग भरते हैं!
ये वक़्त ही कुछ ऐसा है कुछ अजीब कुछ उलझा सा है
उलझने हैं मुश्किलें भी कम नहीं हैं
फिर भी साथ मिलकर इनका हल पता करते हैं
चलो रिश्तों में कुछ नए रंग भरते हैं!
पता ही नहीं चला हम कब बड़े हो गए
वो नानी का घर वो मां का लाड
सब जैसे मानो हवा हो गए
जो कही पीछे छूट गया वो बचपन फिर से जीते हैं
वो लौट नहीं सकता पर उसे महसूस तो कर सकते हैं
आओ बचपन के रंग अपने आज में भरते हैं
चलो रिश्तों में कुछ नए रंग भरते हैं!
समोसे कचोरी और कई पकवान बनाते हैं
मिल नहीं सकते तो क्या
फोटो में शेयर करते हैं
कमैंट्स सेक्शन को तारीफों से भरते हैं
चलो रिश्तों में कुछ रंग भरते हैं!
माना कि नहीं रहता कुछ भी हमेशा के लिए
ना वक़्त ना लोग ना हालात
जो खुशियां आज हैं उन्हें बाँध के रखते हैं
अपनों को अपनों से थाम के रखते हैं
चलो रिश्तों में कुछ नए रंग भरते हैं!