माई रे तेरा देश बड़ा ही दूर है
माई रे तेरा देश बड़ा ही दूर है
दिल वालों की दिल्ली अब नजदीक है
मायानगरी मुंबई अब आँखों के आगे
आसमां में उड़ते जहाज हाथों को छुते से लागे
शोर मचाती ट्रेन
अब सामने से पल- पल भागे
पर तेरे देश की मिट्टी न यहाँ है
जो बागों में गीत सुनाती थी
वो कोयल न जाने कहाँ है ?
न तेरे हाथों की रोटी यहाँ
न तेरे हाथों का आमचूर है
माई रे तेरा देश बड़ा ही दूर है
सोने -चांदी से दिन थे ,वो दिन
जब तेरे आँचल की छाव मेरे करीब थी
तुम्हारा स्नेह हीरे से भी महंगा था
ये लड़की कहाँ गरीब थी
तुझे सुनना चाहूँ पर सुन न पाऊँ
तुझे मिलना चाहूँ पर मिल न पाऊँ
ये दिल कितना मजबूर है
माई रे तेरा देश बड़ा ही दूर है।