लङकी
लङकी
एक लड़की का सबसे बेहतरीन दिन होता है
जब वो सजती है ,संवरती है,,
बस कुछ पल के लिए वो करती है मेहनत बड़ी
जब समय आता है उसके जाने का,,, तब रोती है बड़ी,
बाबुल दुखी देख नहीं सकते उसको
अपनी जिंदगी भर की कमाई बहाते हैं अपनी लाडो पर
खुद एक कुर्ता पहने,, मगर लङकी को सजाते है चादं तारो की तरह।।
अब माँ की तो बात ही क्या कहें ,,
तब तक रोती ही रहती है,, जब तक बेटी विदा न हो जाए,,,
आखिर रोए भी क्यों न,,, कितनी नाजो से थी उसको पाले ।।।