लम्हे
लम्हे
थम सा गया हूँ मैं उन लम्हों में,
जब उस हूर को देख लिया था
इन आंखों ने,
झूम रहा था मैं
उन जन्नत की गलियों में,
फूलों सी थी खुशबू इन हवाओं में।
एक सुकून सा लग रहा था,
तेरी उन बातों में,
एक नशा सा लग रहा था,
तेरी उन आदाओं में,
काश! जी लेता ज़िन्दगी सारी
उन्हीं कुछ लम्हों में!