लक्ष्य शिखर पर ध्वज फहराएं
लक्ष्य शिखर पर ध्वज फहराएं
सावधान रहते जीवन में हम,
कर जाते त्रुटियां बड़ी सारी।
सीख जो लें हम इन त्रुटियों से,
हो जाएं दूर सब बाधाएं हमारी।
बाधा युक्त हैं सभी के जीवन पथ,
भिन्न व्यक्तित्व और भिन्न बाधाएं।
देश काल या हो भिन्न परिस्थिति
तब इनके भिन्न समाधान हो पाएं।
संपत्ति है एक महान शिक्षक ही,
पर विपत्ति शिक्षक उससे भी महत्तर।
स्वेद बहाकर जो किया है अर्जित,
स्वाद निराला मधुतर और सुखकर।
निर्मित पथ पर अनुगमन सरल है,
पर नव पथ का निर्माण है दुष्कर।
रहें सतत जूझते जो बाधाओं से,
हो नव सृजन जो रुकें न थककर।
सीख अतीत से लेकर के जो भी,
अपनी तार्किक-बुद्धि लगाएं।
नियोजन अनुशासन धैर्य के बल पर
दूर कर सकते हैं हम सब ही बाधाएं।
किए काम की करते सतत समीक्षा,
अनवरत ध्येय मार्ग पर बढ़ते जाएं।
रख दृढ़ विश्वास प्रभु और खुद पर,
लक्ष्य शिखर पर हम ध्वज फहराएं।