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Uma Vaishnav

Abstract

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Uma Vaishnav

Abstract

लेखनी

लेखनी

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लेखनी से ही साहित्य की पहचान होती है

लेखनी से ही सहित्‍यकार की शान होती है


लिखें जातें हैं इससे कई किस्से कहानियाँ,

इसके हर शब्द में कोई न कोई जान होती है 


मेरी यह कलम मेरे दिल के भाव बताती हैं, 

जो मेरे साहित्य - जीवन का आधार होती है 


कभी कभी कुछ मन की लिखती रहती हूँ, 

कई सुन्दर भाव नये जिसमे बेशुमार होते हैं 


मात्रा गिनती, छंद, रदीफ़, काफिया ना जानूं, 

मेरी गजल तो कविता में ही साकार होती है।


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