लेखक
लेखक
लेखक का जीवन इतना आसान नहीं
शब्दों के संग चलती है राह कठिन
समाज की सच्चाई को उजागर है करता
कभी कविता, कहानियों में नये अनुभव गढ़ता
स्वयं को जानने में ही लगा रहता है
कभी प्रशंसा का पात्र है बन जाता
मंच पर लेखन उसका सराहा है जाता
कभी आलोचना का भी शिकार है बनना पड़ता
कड़वे घूंट और तानों को भी सहना है पड़ता
लेखन एक अनवरत यात्रा है
उसके जाने के बाद भी जो चलती रहती है।