ले ले मुझको साथ मुसाफ़िर
ले ले मुझको साथ मुसाफ़िर
कहां जा रहा है ऐ मुसाफ़िर ,
कुछ तो बता
"मालूम नहीं, देखूं-
जहां कदम ले जाएं!"
क्या है तेरा नाम मुसाफ़िर,
यह तो बता
"नाम वही जो दिया माता पिता ने,
वरना नाम में रखा है क्या ?"
क्या है तेरी पहचान मुसाफ़िर,
यह तो बता
"पहचान कहां पाया ख़ुद को अब तक,
क्या बताऊँ तुम्हें अपनी पहचान ?"
क्यों है तू इतना मितभाषी,ऐ मुसाफ़िर,
ज़रा बता
"शब्दों ने खड़े कर दिए कितने बवाल जहां में,
मैं क्यों उनमें हाथ बंटाऊं ?"
जाना है कितनी दूर मुसाफ़िर ,
यह तो बता ?
"जितनी दूर कदम ले जाएँ,
उसके आगे मैं न जानूं!"
यूं अकेले ही जाएगा क्या,ऐ मुसाफ़िर,
ले ले साथ मुझे ?
"अकेला कब था मैं,
हू
ँ मैं अपने साथ"
जीवन कैसे गुज़रेगा तेरा ऐ मुसाफ़िर,
बिना संग साथ
"जीवन कहां रुका है समय कहां रुका है
गुज़रना है,गुज़र ही जाएगा"
ले ले मेरा साथ मुसाफ़िर
दे दे अपना साथ मुसाफ़िर
कट जाएगा सफ़र अपना
बातों ही बातों में
"साथ सभी हैं कुछ पल के
कुछ पल का बस डेरा यहां
यह मान कर चलना है तो चल
जान ले बस इतना ,कुछ टलेगा न यहां
आस लगा कर,आंसू बहाकर,रोकर रुलाकर
नहीं करने हैं मैने अपने दिन बरबाद
साथ चलना हो ,तो चल मेरे साथ
दे कर हाथों में मेरे हाथ
जब तक सांस में सांस-
हैं मुसाफ़िर हम सब यहां,
क्या डालना डेरा यहां
कुछ नहीं तेरा मेरा यहां
कुछ भी नहीं तेरा मेरा यहां।