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गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Inspirational

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गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Inspirational

लावणी छंद....काव्य कुसुम बिखराएंगे

लावणी छंद....काव्य कुसुम बिखराएंगे

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अंतर्मन में दीप जलाकर,

    काव्य कुसुम बिखराऍंगे ।

भूतकाल से सीख लिए अब,

   गीत खुशी के गाऍंगे ।।


पथिक वही जो चलता पथ पर,

    जीवन नाव चलाओ रे ।

बिखरे रिश्ते जोड़-जोड़ कर,

    टूटा महल बनाओ रे ।।

मानवता का कवच चढ़ा हम,

   हारा समय जिताऍंगे ।

भूतकाल से सीख लिए अब,

   गीत खुशी के गाऍंगे ।।


जीत उसे ही मिलता रण में,

   अविचल हो जो डटा रहे ।

बूॅंद-बूॅंद में जीत उसी की,

   बादल जो घन-घटा रहे ।।

अस्थिरता में ठहराव मिला,

   शांति सुधा बरसाऍंगे ।

भूतकाल से सीख लिए अब,

   गीत खुशी के गाऍंगे ।।


थककर हारा मरता पल-पल,

   मन को नित समझाओ रे ।

मानस हंसों को मार्ग दिखा,

   ममता सम बहलाओ रे ।।

मलयज मन-मन पुष्पित करके

   उजड़ा बाग सजाऍंगे ।।

भूतकाल से सीख लिए अब,

   गीत खुशी के गाऍंगे ।।


वेद पुराणों की भाषा यह,

   निश्छल मन को जीत मिले ।

साधु संत सब कह गए यहॉं,

   प्रेमिल हिय मनमीत मिले ।।

ढूॅंढें खुद को खुद में रहकर,

   मर कर फिर मुस्काऍंगे ।

भूतकाल से सीख लिए अब,

   गीत खुशी के गाऍंगे ।।



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