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लाडली लाल लर्तृ लखिसै अलि

लाडली लाल लर्तृ लखिसै अलि

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लाडली लाल लर्तृ लखिसै अलि, 

पुन्जनि कुन्जनी में छवि गाढ़ी।

उपजी ज्यौं बिजुरी सो जुरी चहुँ,

गूजरी केलिकलासम काढ़ी।

त्यौं रसखानि न जानि परै सुखमा तिहुँ,

लोकन की अति बाढ़ी।

बालन लाल लिये बिहरें, 

छहरें बर मोर पखी सिर ठाढ़ी


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