क्यूँ करूँ
क्यूँ करूँ
लिख दूँ तुम्हें
पर स्याही खर्च क्यूँ करूँ
तेरा सादे चित्र को रंग दूँ पर
रंगों को बेरंग क्यूँ करूँ
महका दूँ फूलों से तुम्हें
पर फूलों को तेरे लिए क्यूँ तोड़ू
बन जिऊँ रौशनी तेरे चेहरे की
पर मैं तुझे यूँ ही रौशन क्यों करूँ
रास ना आये तेरे नूर मुझे
फिर तुझे मैं ख़ुद से क्यूँ जोड़ दूँ।
