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Rajat Tripathi

Romance

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Rajat Tripathi

Romance

है कितना नूर छिपा तुममे

है कितना नूर छिपा तुममे

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है कितना नूर छिपा तुममे

हम पिघल गए मोम की तरह 

कैसे सिमटे हम भूल गए 

अपना ही सुकून हम खो गए 


तुम देखे नहीं उस आत्म अनुराग को 

हमने तो बस इक चाहत की 

पर भुगत गए अश्रु भर दर्द 

हम चूर हुए जब तुमने देखा 

हम भूल गए क्या नायाब हो तुम 


तुममे डूबे तो समझ मे आया कि

हर चेहरे में अनुराग नही 

आँधियाँ आती है ख्वाबों की 

पर थाम लेता हूं उन ख्वाबों को 


जिनमे तुम रोज सबेरे उठ कर 

हर रोज़ मीठी सी मुस्कान लाते हो 

 हो बेखबर तुम अपने से ही 

की नूर है तुममे कातिलाना सा


तुम हो श्रेष्ठ बेईमान बड़े 

हम करते रहे बेइंतहा अनुराग 

पर तुम लेते रहे फायदा बेहिसाब 

करते रहे हम तुम्हारा मान


तुम करते रहे खुद पर अभिमान

न मिलेगा अब मेरा वह प्यार

खो दिया तुमने वह अधिकार 

तुम मेरे संज्ञान में हो पर 


गिर गया तुम्हारा ईमान खुदमे 

तुम करते रहे इनकार हरदम

हम करते रहे अनुराग हरदम

अब निकल गए हृदय से तुम


अब सजोय दिए बिखरे दिल को हम 

है कितना नूर छिपा तुममे

हम पिघल गए मोम की तरह 

कैसे सिमटे हम भूल गए 

अपना ही सुकून हम खो गए।


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