क्योंकि मैं चुप था !
क्योंकि मैं चुप था !
जब उन किसानों का मारा जा रहा था।
तब मैं चुप था
क्योंकि मैं एक किसान नहीं था।
जब छुआ -छूत के नाम पर
उन दलितों को मारा जा रहा था।
तब भी मैं चुप था।
क्योंकि मैं एक दलित नहीं था।
जब विमुद्रिकारण के कारण
गरीब कतार मैं खड़े -खड़े मर रहे थे।
तब भी मैं चुप था।
क्योंकि मैं एक गरीब नहीं था।
जब विकास के नाम पर
आदिवासियों को खत्म किया जा रहा था।
तब भी मैं चुप था।
क्योंकि मैं एक आदिवासी नहीं था।
जब गाय के नाम पर
किसी मुसलमान को मारा जा रहा था।
तब भी मैं चुप था।
क्योंकि मैं एक मुसलमान नहीं था।
जब उन विचारको को मारा जा रहा था।
तब भी मैं चुप था।
क्योंकि वो मेरे रिश्तेदार नहीं थे।
जब किसी औरत का बलात्कार हो रहा था।
तब भी मैं चुप था।
क्योंकि वो मेरी माँ
बहिन नहीं थी।
अब इस चुप्पी को तोड़ दो।
मेरे साथियों नहीं तो देर हो जाएगी।
और जब कल कोई तुम्हें मरेगा।
तो फिर कोई नहीं बचेगा।
जो तुम्हारे हक़ के लिए बोलेगा।