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Sanjay Verma

Romance

3  

Sanjay Verma

Romance

क्या यही प्यार है

क्या यही प्यार है

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धड़कन की चाल 

बढ़ सी जाती जाने क्यों 

जब तुम सामने से गुजरती 

आँखों में अजीब सा

चुम्बकिय प्रभाव 

छा सा जाता 


शब्दों को लग जाता कर्प्यू 

देह की आकर्षणता 

या प्यार का सम्मोहन 

कल्पनाएं श्रृंगारित 

आईना हो जाता जीवित 

राह निहारते बिना थके नैन 

पहरेदार बने इंतजार के 

प्यार के लहजेदार शब्द 

लगे यू जैसे वर्क

लगा हो मिठाई में 


संदेशों की घंटियाँ  

घोल रही कानों में मिश्रिया 

इंतजार में नाराज़गी 

वृक्षों को गवाह 

तपती धूप, बरसता पानी

फूलों की खुशबू 

लुका छुपी का खेल 

होता है प्यार में 

विरहता में प्यार छूटता 

रेलगाड़ी की तरह 


बीती यादों के सिग्नल तो 

अपनी जगह ठीक है 

उम्र की रेलगाड़ी

अब किसी स्टेशन पर

रूकती नहीं 

प्यार का स्टेशन 

उम्र को मुंह चिढ़ा रहा 

जब उम्र थी तब बैठे

नहीं गाड़ी में 

आखिरी डब्बे का गार्ड 

दिखा रहा झंडी..



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