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Pradyumn Kumar

Tragedy

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Pradyumn Kumar

Tragedy

क्या कहूँ मैं किसलिए मौन हूँ?

क्या कहूँ मैं किसलिए मौन हूँ?

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चुभ ना जाए बात किसी को,

क्या इसलिए मैं मौन हूँ?

तुम्हारी आहट को भी सुन सकूँ,

शायद इसलिए मैं मौन हूँ।


अल्फ़ाज़-ए-दिल भी कुछ कहना है,

तू ये मानती ही नहीं;

शायद तू ये जानती भी नहीं,

कि मैं तुम्हें अपना मानता भी हूँ।


ये इम्तिहान-ए-वक्त है,

अभी मुझे भी नहीं पता;

कि मैं कौन हूँ?

हाँ, इसलिए मैं मौन हूँ।



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