क्या कहती है जिन्दगी
क्या कहती है जिन्दगी
पहारों का सीना चीर कर,
निर्झरनी सा झूम कर,
दिल दरिया बनो,
कहती है जिन्दगी।
आंसमा को चूम कर ,
बादलों सा घुमड़ - घुमड़,
जीवन का नीर बनो,
कहती है जिन्दगी।
सावन सी हरी भरी,
अंग- अंग फूलों की डली,
अधरों की मुस्कान बनो,
कहती है जिन्दगी।
अमर-अनंत तुम्हारा जीवन,
बहते रहो जू निर्मल पवन,
तपते सूरज की दमक बनो
कहती है जिन्दगी।
शोलों की होली में,
ओलों की गोली में,
जय- श्री से करो स्वयंवर
कहती है जिन्दगी।
विहड़-सघन है जीवन-पथ,
कंटिले-पथरिले, डगर-डगर,
राह नहीं फिर भी मुश्किल,
कहती है जिन्दगी।
मंजिल मिले , या ना मिले,
रुको नहीं, थको नहीं,
साँसों की लड़ी बढाते रहो
कहती है जिन्दगी।
