मैं तन्हा हूँ
मैं तन्हा हूँ
हाँ, मैं तन्हा हूँ
जीवन के इस पार भी
जीवन के उस पार भी ,
गम के मारे को हुए को,
जीवन से हारे हुए को,
मैं ही बस एक सहारा हूँ,
हाँ मैं तन्हा हूँ
मुझे गले लगा लो तो,
नजारें दिखा दूँ ,
तुम्हारे सपनों का संसार सजा दूँ ,
नव शक्ति का संचार करा दूँ
हाँ मैं तन्हा हूँ
मुझे ठुकरा दो तो
आंखें नम करा दूँ,
टूटे सपनों की लड़ी थमा दूँ,
निराशाओं का भारी तूफ़ान उठा दूँ.
हाँ मैं तन्हा हूँ
मुझसे हाथ मिलाओ तो,
मित्र बना लूँ,
तुम्हारे अश्कों को फूलों से सजा दूँ,
जीवन की ऊंचाइयों का सैर करा दूँ,
हाँ मैं तन्हा हूँ
मुझसे नाराज होना,
जीवन हार जाना
दुखों के पहाड़ से चूर - चूर हो जाना
मैं विचित्र शमां हूँ
जीवन को आग लगा दूँ
हाँ मैं तन्हा हूँ
छोड़ो
गिले-शिकवे,
मैं ही यहाँ-वहाँ हूँ,
अक्ल से काम लो,
मेरा हाथ थाम लो,
मस्ती में झूम लो
मैं ही यहाँ-वहाँ हूँ,
हाँ मैं तन्हा हूँ...!
