मेरी सखियाँ
मेरी सखियाँ
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प्यारी - प्यारी रंग- बिरंगे फूलों की डाली
खुशबू उनकी गली- गली
मेरी सखियाँ।
सुप्त हृदय को जगा - जगा कर,
स्नेह-रस में भीगा -भीगा कर,
हास-परिहास की छोड़ी फुलझडियाँ
मेरी सखियाँ,
कोई चुल -बुल, कोई बुल-बुल,
कोई कोई तो तितली रानी,
नित नूतन है इनकी कहानी,
मेरी सखियाँ ...
दुख-सुख में सब एक हो जाती,
पर्वत को भी राई बनाती,
मिलजुल कर सब का दुख हर लेती,
मेरी सखियाँ, प्यारी प्यारी और प्यारी।