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रंजना उपाध्याय

Abstract

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रंजना उपाध्याय

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क्या हो गया

क्या हो गया

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इस जमाने को देखो क्या हो गया है

लोभ लालच के चलते मति भ्र्ष्ट हो गया है।


इंसानियत खत्म हो रही जुल्म बढ़ते जा रहे हैं

इस जहां में लुटेरों ने सबको लूटे जा रहे हैं।

इस ज़माने..।


कुछ तो खुश हैं अपनी रूखी सूखी रोटी खाकर

उनकी खुशियों को देखकर कुछ लोग दुःखी हो रहे हैं।


इस विरक्ति भरे अंधेरों में इंसान अच्छा न मिल रहा है

किसी की आवाज सुनकर बेवजह परेशान हो गया है।

इस जमाने..।


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