क्या है जिंदगी
क्या है जिंदगी
छोटी छोटी ख्वाहिशों से
बनती है ज़िन्दगी।
माता पिता के अहसानों से
बड़े होना है जिंदगी।
शादी करके जीवनसाथी के
साथ गृहस्थी बसाना है जिंदगी।
खुद का घर पसीने की
कमाई से लेना है जिंदगी।
बच्चों को अच्छी परवरिश
देना है जिंदगी।
छोटी छोटी खुशियों में
खुश होना है जिंदगी।
गम कितने भी हो
मुस्कुरा के जीना है जिंदगी।
खुद की गलती न होते हुए भी
माफी मांगना ही है जिंदगी।
अपने खुश रहे तभी मैं खुश रह पाऊं
क्यों कि अपने ही तो है जिंदगी।
खुद के रोने से शुरू
दूसरे मेरे जाने से रोए
तब खत्म हो यही तो है जिंदगी।
