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Bhawna Kukreti Pandey

Abstract

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Bhawna Kukreti Pandey

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क्या दिखता है?

क्या दिखता है?

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दुनिया को दिखता है 

स्त्री का आसमान में ऊंचा उड़ना,

लेकिन कभी नही दिखता उसका 

छटपटाते अपने पंख फड़फड़ाते हुए 

किसी तरह शिकारियों से बचने की 

लगातार अथक कोशिशें करना

जो मौजूद है  कोने कोने में।


दुनिया को दिखता है 

उसका चहकना जगह जगह

नहीं दिखता उसका चहकने के पीछे 

अपने सत्य को ले चीखते रहने की वेदना

मधुरतम कंठ के तारों का खिचना

अपने अंदर खुद को संबल देना 

सुनकर अपमानजनक 

सामूहिक कुत्सित 

आलोचना।


सबको दिखता क्या है

यह उसे उतना आहत नहीं करता जितना

उसके प्रिय व्यक्ति का उसे उसी दुनिया की 

हीन दृष्टि से देखना।

वो दुनिया 

जिसको नहीं देखा

उसने कभी भी

प्रिय व अपने 

बीच।


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