क्या आजादी मिल पायेगी उन्हें ?
क्या आजादी मिल पायेगी उन्हें ?
जिनके पांव बंधे हैं
बंधनों की बेड़ियों से
जिनके इरादे टूटे हैं
सामाजिक रूढ़ियों से
क्या आजादी मिल पायेगी उन्हें ?
जिनकी इच्छाएँ मर गई हैं
अव्यवस्थाओं की मार से
जिनके सपने बिखर गये हैं
अभावों के वार से
क्या आजादी मिल पायेगी उन्हें ?
जिनका बचपन गुजर रहा है
सड़कों के किनारे
जिनके हिस्से की धूप निगल रहे
बादल सारे
क्या आजादी मिल पायेगी उन्हें ?
जो जूझते रहते हैं
एक अदद हंसी के लिए
जो लुटते रहते हैं
एक बूंद खुशी के लिए
क्या आजादी मिल पायेगी उन्हें ?
जिनका जीवन झुलस गया है<
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निर्धनता की आग में
जिनके हौसले छलनी हो गये
कंटीले निर्जन बाग में
क्या आजादी मिल पायेगी उन्हें ?
जो षडयंत्र से बंदी हुए
असत्य के हमलों से
जो प्रेम में विवश हुए
अत्याचारी गमलों से
क्या आजादी मिल पायेगी उन्हें ?
जिनकी उम्र कट रही है
एक रोटी की परिधि भीतर
जो कहते हैं हम क्या करेंगे
ऐसी जिंदगी जीकर
क्या आजादी मिल पायेगी उन्हें ?
क्या आजादी मिल पायेगी उन्हें
जो वंचित हैं
असहाय हैं
बंधे हुए
निरूपाय हैं
क्या आजादी मिल पायेगी उन्हें
जो गुलाम हैं
तन के
धन के
निज मन के।।