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Rashi Srivastava

Abstract

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Rashi Srivastava

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कविता

कविता

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कविता यनी कृति

मनोभाव को व्यक्त करने की रीति

कविता मेरा सार है

जज्बात को व्यक्त करने का

यही आसार है।


 मुझे मेरी पंगतिया अनंत प्रिया है

 मेरे हाथो की सिहाई मेरे दिल में कैद है

अपने आंसुओं को कविता में उतार देती हूं

 समाज से कहने में शरम सा प्रतीत करती हूं।


यकीनन कुछ लोग समझते होंगे

जो इस तकलीफ से रोज गुजरते होंगे

कविता तो हमारा पुराना दर्शन है

प्रेम भाव से रचना करो तो हर शब्द ही सुन्दर है।

 

शब्दों से लड़ती हूं, झगड़ती हूं 

तब जा कर अपनी कविता को

एक सुन्दर दिशा प्रदान करती हूं


मैंने अपने मन को

महासागर बना लिया है

एक दृष्टि से मत देखो,

काव्य, कविता, कहानी का

भंडार बना लिया है।


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