✍🏻दीपों का त्योहार ( 1 )✍️
✍🏻दीपों का त्योहार ( 1 )✍️
दीपों का त्योहार
यह पर्व हैं पुरुषार्थ का,
यह दीप के दिव्यार्थ का,
हर घर की देहरी पर दीप
सबको जलाना है,
ताकि वो
अंधकार से लड़ता यह चलता रहे,
हारेगा यह अंधियारा
जो छाया है घोर- अंधियारा,
जीतेगा यह जगमग उजियारे से,
आज के इस दीपों के त्योहार से,
दीप ही ज्योति का पहला तीर्थ है,
सदा यह कायम रहे
इसका अर्थ वरना सब यह व्यर्थ है,
मिलकर आज हमें मनाना है
यह दीपों का त्योहार है,
महामारी में भी आज का दिन
दीपों से जगमगाना है,
सरकार के सारे आदेशों को मानना है,
दो गज दूरी की भी पालना जरूरी है,
मिलना हाथ नहीं हैं
सिर्फ
अभिवादन करना है,
साथ में रहना है
साथ किसी का भी छोड़ना नहीं है,
पटाखे फोड़ने नहीं हैं
दिलों को जोड़ना जरूरी है,
कोई भी वंचित न रह जाए खुशियों से,
कोई भूखा भी न रह जाए खाने से,
ये भी याद हमें रखना हैं याद से,
सारे मिलकर मनाए दीपों का यह त्योहार,
फिर से मिलकर
लाए हम सब रामराज इस धरा पर,
