कुछ वक्त जाने दो...
कुछ वक्त जाने दो...
वक्त कितने जल्दी बीत जाता है ना
कब हम बड़े हो जाते हैं पता ही
नहीं चलता
कैसे बचपन में माँ की गोद में सोते थे
कैसे छोटी छोटी चीजों को लेकर
ज़िद किया करते थे
सोने के लिए माँ ही लगती थी
माँ के बगैर कुछ काम कर ही
नहीं पाते थे
पर अब वक्त बदल गया
रिश्तों के माइने बदल गए
आज की हक़ीकत यह है कि
सामने टी.वी. और हाथ में
मोबाइल हो तो
और किसी चीज की जरूरत
ही नहीं पड़ती
यह सारी चीजें यादें ताजा
कर देती है
कभी कभी ज़रुरी होता है
बीते वक्त को याद करना
उससे एक प्रेरणा मिलती है
एक सुकून मिलता है ।।