कुछ तो हिसाब होना चाहिए!!!!
कुछ तो हिसाब होना चाहिए!!!!
चेहरे पर हज़ारों चेहरों का, कुछ तो हिसाब होना चाहिए,
आँखों के अन्धो के लिए भी, कोई हिजाब होना चाहिए।
रुख़सत सहर करती आयी है, मयखाने में डूबी शामों को
घूँट घूँटकर जहर पीने का भी , कोई तरीक़ा होना चाहिए।
मलने को मरहम ज़ख्मों पर, हक़ीम ढूंढ रखे है कई यहां,
ख़ंजर सी चुभती ज़बान का, कुछ तो इलाज होना चाहिए।
दिखाने दुनिया को , तेरी चौखट को अलविदा कह भी दे,
रूह को जिस्म से मिला दे,तुमसा वो दिवाना होना चाहिए।
बुलंदियों का आसमां छूकर भी,सुकूं मिला ना इक पल को,
तस्कीन-ए-अना हो जाए,दिल में ऐसा दरबार होना चाहिए।
खुद की नज़रों से परखा तो, भगवान ही निकले सब यहां,
बेईमानों की नगरी में रहकर भी, साफ इमान होना चाहिए।
टूटने ही है वो रिश्ते भी, रफू करते रहे जो रेशम की डोर से
जोड़े जो रब से,कलाई पर वो मन्नत का धागा होना चाहिए।
