कुछ राज,राज ही रहने दें
कुछ राज,राज ही रहने दें
कई दफ़े,
द्वार मन के
बँद करने पड़ते,
औरों के भले के लिये
किसी को बता नहीं सकते।।
गुप्त बातें,
किसी से मुलाक़ाते,
कुछ वाकये अनचाहे,
जो घटित हुए साथ अपने,
राज भीतर ही रहे तो अच्छे।।
यदि द्वार खुले मन के,
तो टकराएंगे दोनो आपस में,
ख़त्म ना होंगे झगड़े,उलाहने,ताने,
राजदार के विश्वास के उड़ेंगे परखच्चे,
अतः ज़ुबान की ख़ामोशी अख़्तियार करें।।