कुछ ख्वाब है मेरे...
कुछ ख्वाब है मेरे...
कुछ ख्वाब है मेरे ,
जो पलकों में छुप के है ,
कुछ इच्छाएं है मेरी ,
जो दिल में दबी है ...
पूरा हो ख्वाबों का आसमान ,
जी जाऊँ दिल की ख्वाहिशें ,
लेकिन डरती हूँ ना कोई बिछड़ जाये,
दुनिया ना मुझसे रूठ जाये ...
सहम जाती हूँ ,
सिमट जाती हूँ ,
उमंगों में उनकी खो जाती हूँ ,
एक अपनी ही दुनिया बना ली मैंने,
अपने अंदर जो इन सबसे परे है,
ना डर ना ही बंधन खड़े है ,
पंख है मेरे अपने ,
उड़ान अपनी भरती हूँ ,
मेरे इच्छाओं की दुनिया में,
मैं दिल खोलकर जीती हूँ ...