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कुछ इस तरह से..

कुछ इस तरह से..

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कुछ इस तरह से

वक्त का सुरुर देखिये,

मुलाक़ातें होती थी

वक्त बीतता नहीं गुजरता था,

अब वक्त मिलता नहीं

मुलाक़ातें होती नहीं

और वक्त गुजरता तो है,

पर वक्त बीतता नहीं

शायद क़ुसूर अपना ही होगा

वरना बातें यूं बातों-बातों में

बनाई और बिगाड़ी नहीं होती..


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