STORYMIRROR

Surendra kumar singh

Abstract

4  

Surendra kumar singh

Abstract

कुछ बदलें

कुछ बदलें

1 min
266

कुछ बदले

किसी का इंतजार किये बिना

क्यों कि जो आप बदल सकते हैं

उसे बदलने के लिये

किसी का इंतजार क्यों।


हालांकि यूँ तो

इंतजार बहुत हुआ है

और लोग कहते हैं कि

सच परेशान तो हो सकता है

लेकिन पराजित नहीं।


शुक्रिया सच की शक्ति की

स्वीकार्यता का

लेकिन उसे परेशान होने का

अपना दर्शन बदलिये।


और सच के साथ खड़े हो जाइये

सच बोल नहीं सकते तो 

क्या बात है

किसी ने बोला है तो

उसके साथ खड़े हो लें

और महसूस करें


सच परेशान नहीं हो रहा है

परेशान कर रहा है

और उसे परेशान करने दें।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract