कठपुतलियां
कठपुतलियां
बनकर रहने की आदत हो गई है
कुछ लोगों को जीवन भर के लिए,
खुद का अस्तित्व भी नहीं समझ रहे
दूसरों की बातों में आकर कुछ पल
हो जाते हैं आमने सामने हमेशा के लिए
दूसरों के इशारों से कब तक चलेंगे
आत्मसम्मान, स्वाभिमान, आत्मविश्वास से
कब तक समझौता करेंगे,
खुद पर विश्वास कर शुरू कीजिए
नई जिंदगी बेहतर कल के लिए।
