क्षणभगुंरता
क्षणभगुंरता
समुद्र में ऊंची सी लहर उठी
लहर ने सोचा, वाह!
अब उसका अस्तित्व
समुद्र से अलग है
उसकी पहचान अलग है
वह समुद्र नहीं, लहर है
उसे क्या पता था
उसका अस्तित्व कितना
क्षण भंगुर है
अगले ही पल तो उसे समुद्र में मिल जाना है
कोई नई लहर बनने के लिए।
