क्रश फॉरएवर
क्रश फॉरएवर
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नयनों में नज़र आए
दिल छू गुज़र जाए
ख्वाब-सा लगे मुझे वो
नींंदों में उतर आए।
क्या करूँ, ये दिल मेरा
इस कदर बेचैन है
चाहूँ भी तो अब न मुुझे
इक पल सुकून है।
हर तरफ नज़रें फ़िरा के
देखूँ तुझे दूर जाके
पास आना चाहूूँ फिर भी
दिल ही दिल में घबराऊं॥
वक्त वो ठहर सा जाए
जिस पल तू मिल जाए
दोपहर की धूप जैसे
छांंव में बदल जाए॥
कलियोंं सी खिल जाऊँ
बलि्लयों उछल जाऊँ
बयां ना खुशियाँ कर पाऊँ
दिल से मैं मचल जाऊँ॥
नहीं पता कि कब तुझे
येे हाल मेरा पता चले
ना भी हो तुम्हें पता तो
ऐ काश! हम बता चले ंं॥
जी में आए बोल दूूं
ना छुपे जज़्बात दिल के
अब राज़ सारे खोल दूूं
चाहकर भी हो ना पाए
दिल पर वश मेेेरा..
जानती हूँ सच नहीं वो
क्रश है बस मेरा॥