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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

4.5  

Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

"कृपा निराली"

"कृपा निराली"

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309


हे मां सरस्वती, तेरी कृपा निराली है

अज्ञान की मिटाती, तू रात काली है

जो आता शरण, जाता नही खाली है

भरती, झोली मां बड़ी भोलीभाली है

 

बन जाते है, शूल भी फूल डाली है

जो लगातार प्रयास करता माली है

हे मां सरस्वती, तेरी कृपा निराली है

तेरी कृपा से पत्थर बजाते, ताली है


उन चेहरों पर रहती, नित लाली है

जो तम में जलाता दीया दीवाली है

उनकी, मां खुद करती रखवाली है

जिन्हें यकीन सिर्फ, मां का खाली है


मैं आया शरण, लेकर पूजा थाली है

कर दे कृपा मां, शारदे तू हँसवाली है

मेरे शब्दों में भर दे, सत्य की लाली है

मिटा सकूं, झूठ की हर बात झाली है


हे, मां सरस्वती तेरी कृपा निराली है

अमावस बनाती, शब पूनम उजाली है

साखी पर कर, कृपा, मां विद्या वाली है

बना दे, इस पत्थर को भी मोम डाली है



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