करोना आया है
करोना आया है
कुछ मौतें हुई है उससे हमें सीखना है
कैसे जीना यह जीवन उसे जानना है
अब सारी बेहोशी को छोड़कर हमें
खोज निरंतर उस जीवन का करना है
जिस जीवन में खूब संतुलन हो
उस संतुलन में सब जीवन हो
उस जीवन को फिर से चुनना है
कुछ मौतें हुई है उससे हमें सीखना है
मानता हूं करोना आया है किसी बेताल सा
विक्रम समझ कर हमारी पीठ पर वह चढ़ा है
ना जाने कितनी कहानियां है उसकी
जिसे शांत चित्त होकर बस सुनना है
इस आशा के साथ कि प्रश्न तीखे होंगे
जिसका उत्तर न फीका हो जाए
अगर हमारी भूल हो गई उत्तर में,
तो फिर वह विकराल हो जाएगा
इसलिए उत्तर में न्याय जरूरी है
कुछ मौतें हुई है उससे हमें सीखना है
पर यह भी संकट है कि मौन रहना जरूरी है
और ऐसे पथ पर चलना है जहां कोई न हो
तो क्यों ना ऐसी परिस्थिति में हम बुद्ध सा हो जाएं
जहां पर विचारों के बीच रिक्त स्थान खूब सारा हो
शायद करोना भी यही चाहता है हमसे आज
हां माना बाधा बहुत होंगे हमारे राहों में
लेकिन, बुद्ध सा बनना कोई खेल नहीं
परंतु बुद्ध बनना उतना भी मुश्किल नहीं
कुछ मौतें हुई है उससे हमें सीखना है
करोना बेताल सा आया है हमें विक्रम समझ कर
तो थोड़ा उठापटक हमारे उसके बीच होंगे ही
लेकिन, जैसे ही जीवन के भीतरी आयाम खुलेंगे
बाहरी आयाम की सारी उलझन सुलझ जाएगी
तब हम विक्रम सा बेताल रूपी करोना को
प्रकृति रूपी तांत्रिक के चरणों में अर्पित कर देंगे
जिससे सबको न्याय मिलेगा, प्रकृति को संतुलन
किसी के आवास पर न किसी का अतिक्रमण होगा
सबका जीवन उसका सिर्फ उसका होगा
कुछ मौतें हुई है उससे हमें सीखना है