कर्मयोगी
कर्मयोगी
अपनी मंज़िल की लम्बी सीढ़ी
को देखते रहने से अच्छा है,
पहली सीढ़ी पर पैर रख कर,
नयी शुरुआत करिए जनाब।
जब कभी रात लम्बी हो जाती है,
साँसें थमती हैं, धड़कनें बढ़ जाती हैं,
आजमाइश में ही तो हौसले काम आते हैं,
हिम्मत ना हार, चल उठ, अब कदम बढ़ा।
आखिर रात ही तो है, कट ही जायेगी,
एक गहरी साँस ले, फिर चल उठ,
वक्त को ललकारा दे।
वो लाख सैलाब हो तो क्या,
लड़ने से पहले मरना क्या,
लक्ष्य है तेरा जीवन से बड़ा
फिर जीवन के आगे झुकना क्या।
कुछ भी नहीं है, जो खो जायेगा,
साल और वक्त ही तो है आखिर,
पहले भी कटा था, अब भी कट जायेगा।
लक्ष्य है तेरा जीवन से बड़ा,
फिर जीवन के आगे झुकना क्या।
अपने मनोबल को इतना सशक्त कर,
कठिनाई भी आने से न जाए डर,
आत्मविश्वास रहे तेरा हमसफर,
बड़े-बड़े कष्ट न डाल पाए कोई असर।
हौसला अपना बुलंद कर लो,
साहस व हिम्मत को संग कर लो।
निर्भय होकर आत्मविश्वास से बढ़ो,
संयम व धैर्य से सफलता की सीढ़ी चढ़ो।
जो अपने पक्के इरादों के आगे,
मुसीबतों के घुटने टिका जाएगा।
वही सुदृढ़ मनोबल वाला मनुष्य,
जिंदगी की यह जंग जीत पाएगा।।
