कर्मयोगी
कर्मयोगी


कर्म ही जीवन, कर्म ही पूजा
कर्मसे बढकर कोई न दुजा!!
तू ही ईश्वर, तू ही मसीहा
ज्ञान का सागर, तुम बिन अधुरा!!
कर्म करते, करते जाना
जीवन नैय्या, पार लगाना!!
चारो ओर ही, सुख-दुख की छाया।
उस में तू है, तू आप में समाया!!
तू ही दाता, तू ही त्राता
तू ही हमारा, भाग्यविधाता!!