STORYMIRROR

Raghav Dixit

Inspirational

3  

Raghav Dixit

Inspirational

कर्म द्वंद

कर्म द्वंद

1 min
326

कर्मवीर लक्ष्य साध जब लेता है

सम्मुख दृश्य लक्ष्य बस होता है,

लक्ष्य को अपने पाने को

जीवन उद्देश्य बनाने को,

प्रयत्नशील निरंतर रहता है

बाधाओं को प्रतिपल सहता है,

अलौकिक दृश्य द्वंद का होता

बार पर बार वीर वह सहता,

संकल्प प्रबल जितना होगा

हर बाधा को फिर झुकना होगा

अंततः विघ्नों को बांध वह देता है,

संकल्प सिद्ध कर लेता है।

बाधाएं छोटी हो,

या अचल हिमगिरि जैसी हो

जैसे स्वर्ण अग्नि में तप कर,

हो जाता है और निखर

प्रहार प्रखर वह करता है,

हर बाधा से और निखरता है

अप्राप्य ना उसको कुछ रहता है

कर्मवीर दृढ़ संकल्पित जब होता है।

ऊसर भूमि फसल देती है

हर बाधा रण तज देती है,

दृढ़ संकल्पी जब क्रेता है

पत्थर भी पानी देता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational