।।कोशिशों का सफर।।
।।कोशिशों का सफर।।
कल मुद्दतों के बाद कोशिशों के पाँव
हिम्मत लेकर मंजिल से मिलने चले......
मुश्किलों ने रोक कर परेशानियों से मिलवाया
और हिम्मत कुछ पस्त होने लगे ....
अगले मोड़ पर रुकावटें भरी थकान ने
पकड़ कर बैठा दिया....
हौसलों की हवा ने कोशिशों को सहारा दिया
और चल पड़ी वह भी इस सफर में
धीरे धीरे तेज होती भावों की ताल सुनकर
फिर जोश भी साथ हो लिया ....
अब दौड़ रहे थे और मंजिल करीब लग रही थी
शाम ने आराम के लिए उकसाया।
और पैड़ों की घनी छांव से मिलवाया।
दर्द जाग गया और उठने से मना करके
सोने की गुजारिश करने लगा
अँधेरे के डरावने काले बादलों ने भी
पलट जाने का हुक्म दिया..
सब्र की चांदनी में बेताब चाहतों को भरोसा
और उम्मीदों का वादा किया।
रोशनी की किरणों ने सारी कोशिशों को झिंझोड़ा।
अब वह पाँव , फिर हिम्मत और हौसलों के साथ
मंजिल की ओर बढ़ रहे हैं।
