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Rakesh Bishnoi

Abstract Tragedy Fantasy

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Rakesh Bishnoi

Abstract Tragedy Fantasy

।।शिक्षक राष्ट्र निर्माता।।

।।शिक्षक राष्ट्र निर्माता।।

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शिक्षक वही जो शिष्ट बनाता,

क्षत्रिय सा निडर बनाता है।

कर्मठता का पाठ पढ़ाता है ,

शिक्षक राष्ट्र निर्माता है।


सौम्य स्वभाव सादगी पसंद,

ज्ञान दर्पण का नूतन आनंद।

अभावों में मुस्काता है,

शिक्षक राष्ट्र निर्माता है।


कभी डॉटकर कभी प्यार से,

कुंभ बनाता गढ़ कुम्हार से।

तराशकर हीरा बनाता है,

शिक्षक राष्ट्र निर्माता है।


भूले भटके को मार्ग दिखता,

एक सच्चा इंशान बनाता।

अनुशासन सिखलाया है,

शिक्षक राष्ट्र निर्माता है।


सहिष्णुता और विनम्रता,

नैतिकता और उदारता।

समय एकाग्रता सिखलाया है,

शिक्षक राष्ट्र निर्माता है।


ज्ञानी, विज्ञानी, किसान बनाता,

डाक्टर, इंजीनियर,इंशान बनाता।

व्यापारी, उद्योगपति बनाता है,

शिक्षक राष्ट्र निर्माता है।


अधिकारी ,नेता से मंत्री तक,

सैनिक से लेकर संतरी तक।

साजो सुरक्षा सामान बनवाता है,

शिक्षक राष्ट्र निर्माता है।


चांद , मंगल की सैर कराता,

अवनि से अम्बर पहुंचता।

यही मोक्ष मार्ग बतलाया है,

शिक्षक राष्ट्र निर्माता है।


कर्तव्य पथ का पाठ पढ़ाता,

विवेकानंद सा महान बनता।

राम, कृष्ण, कलाम बनाता है,

शिक्षक राष्ट्र निर्माता है।


आज इनके जिम्मे बहुत काज है,

बच्चो को बांटना अनाज है।

शिक्षा छोड़ खाना बनवाता है,

शिक्षक राष्ट्र निर्माता है।


जनगणना,चुनाव ,मतदान कराना,

भेड़, बकरियों को गिन आना।

साईकिल पोशाक बंटवाता है,

शिक्षक राष्ट्र निर्माता है।


एक चेला बन गया विधायक,

फिर संसद बन जाता है।

पेंशन पर पेंशन पाता जाता है,

शिक्षक राष्ट्र निर्माता है।


वृद्धावस्था क्या करे बेचारा,

दर्पण भी मुख चिढ़ाता है।

पेंशन का टेंशन भरमाता है,

शिक्षक राष्ट्र निर्माता है।


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