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Pradeep Sahare

Abstract

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Pradeep Sahare

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कोरोना१९ संग प्लास्टिक

कोरोना१९ संग प्लास्टिक

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लफ्ज़ और नब्ज की,

करुं अगर बात तो !

कम पड़ेंगें दिन और रात ।

नहीं भूल सकता मैं,

कोरोना में प्लास्टिक का साथ ।

१ जूलाई को मुझे,

 कोरोना का झापड़ पड़ा ।

फिर मैं ३० जुलाई तक लड़ा ।

इस दौरान देखा मैंने ,

प्लास्टिक ने मेरा साथ न छोड़ा।

मैं दुत्कारता रहा,

करता रहा तिरस्कार हर बार ।

लेकिन वह करता रहा,

अहर्निष सेवा मेरी हर बार ।

जब महसूस हुवा,

गले में हैं खराश ।

बुखार भी पहुंचा १०१ पास ।

आएं डॉक्टर लेने सेम्पल ।

खोली जब सेम्पल किट ।

देखा जब मैंने उसे,

वह भी निकली "प्लास्टिक" की।

बोतल जिसमें रखा सेम्पल,

वह भी निकली "प्लास्टिक" की।

निकला जब अस्पताल जाने ।

संग कारवां था "प्लास्टिक" का।

थैला,बोतल,स्टेचर,पीपी किट,

सब कुछ था "प्लास्टिक" का ।

पहुंचा अस्पताल,था बुरा हाल ।

देखे डाक्टर"ऑक्सीजन"

क्या कर रहा हैं कमाल !!

"ऑक्सोमीटर" भी निकला ,

"प्लास्टिक" का ।

लगाई जब पहली सुई तो !!

वह भी निकली "प्लास्टिक" की।

हुई रवानगी वार्ड में तो !!

संग था "प्लास्टिक"कुरसी का।

पड़ा बिस्तर पर,देखा ईधर उधर।

पंखा,दवा बोतल,सुई सलाईन,

सब कुछ था "प्लास्टिक" का।

बचा रहा था मेरा जीवन,

कहते हम उसे "ऑक्सीजन"

बोले तो ! व्हेंटीलेटर...

जीसे देखते ही लगे ड़र...

उसका मास्क भी "प्लास्टिक"का।

व्हेंटीलेटर पर,लगी इमंरजन्सी तो !!

नर्स बोतल लायी "प्लास्टिक" की।

दवा,दुआं संग डॉक्टर,

और" प्लास्टिक" का साथ ।

कियें कोरोना संग दो दो हाथ ।

खुशी हुई कोरोना को हराकर ।

स्वस्थ होकर,नीकला वार्ड बाहर।

पहुंचा बिल काउंटर पर,मुस्कराकर ।

पर्स निकला,जेब के बाहर ।

निकल कार्ड पर्स के बाहर ।

काउंटर मॅन ने दी मशीन ,

वह भी निकली "प्लास्टिक"की।

कार्ड स्वॅप किया....

गौर से देखा तो...

वह भी निकला "प्लास्टिक" का।

समझ में आया "प्लास्टिक" सार।


" ना करो प्लास्टिक का तिरस्कार ।

अपनाओं जीवन में दो उसे प्यार ।।"


" पोलुशन से मुक्त हो जग सारा ।

याद रहें प्लास्टिक से ना हो किनारा ।।"



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