Krishna Khatri
Inspirational
हमने तो जीती हैं
बड़ी-बड़ी जंग
ये कोरोना है
किस खेत की मूली !
उसे तो यूं उखाड़ फेकेंगे
कि न रहेगा
नामोनिशां उसका
तब हो जाएगा
देश हमारा कोरोना मुक्त
तो आओ मिलकर
कुछ करते हैं
इसलिए कि
कोरोना को भगाना है !
खुद को स्वस्थ रखना है!
यही इल्तिजा ह...
जब तक मीठा न ...
फितरत !
जी भर के जी ल...
जी लेंगे हम द...
आंखों ने देखा...
खलिश !
अश्रु मेरे .....
मां तुम अमृता...
समय का न इंतजार कर है कर्म पथिक तू अगर समय का न इंतजार कर है कर्म पथिक तू अगर
आदर्श समाज का हो निर्माण माता-पिता, गुरु का हो सम्मान। आदर्श समाज का हो निर्माण माता-पिता, गुरु का हो सम्मान।
हे ! युवक , भूल मत अपनी शक्ति तेरे अंदर भूकंप की भयंकरता है। हे ! युवक , भूल मत अपनी शक्ति तेरे अंदर भूकंप की भयंकरता है।
जीने का मकसद बदल जाता है आदमी जिसमें खो जाता है जीने का मकसद बदल जाता है आदमी जिसमें खो जाता है
मिलें मुश्किलें तो न घबराइएगा, जो शक्ति मिले तो न इतराइएगा मिलें मुश्किलें तो न घबराइएगा, जो शक्ति मिले तो न इतराइएगा
मेघ की ओट से निकालकर, नभ में चांदनी बिखरा दे मेघ की ओट से निकालकर, नभ में चांदनी बिखरा दे
अपनी शक्ति का एक नशा युवा पर छाया रहता करता अपने मन की चाहे कोई कुछ भी कहता अपनी शक्ति का एक नशा युवा पर छाया रहता करता अपने मन की चाहे कोई कुछ भी कहता
नहीं बचा है क्षेत्र कोइ जँह दखल न होवे नारी का। मोल कभी ना चुका ----------- नहीं बचा है क्षेत्र कोइ जँह दखल न होवे नारी का। मोल कभी ना चुका -----------
परिंदा हूं रोक लो जितना रोकना है, अभी तो अम्बर के पार उड़ान बाकी है। परिंदा हूं रोक लो जितना रोकना है, अभी तो अम्बर के पार उड़ान बाकी है।
जगत में होता अनवरत ही बदलाव, आती है जड़ता यदि आया ठहराव। जगत में होता अनवरत ही बदलाव, आती है जड़ता यदि आया ठहराव।
सतर्क समृद्ध भारत का सकल विश्व पर राज रहे। सतर्क समृद्ध भारत का सकल विश्व पर राज रहे।
स्वयं को जाने बिना, नहीं खिल पाएगा मानव व्यक्तित्व। स्वयं को जाने बिना, नहीं खिल पाएगा मानव व्यक्तित्व।
मिट्टी की बनी काया अपनी, मिट्टी में इसे मिल जाना है, मिट्टी की बनी काया अपनी, मिट्टी में इसे मिल जाना है,
हर कोई सींचता, दुश्मनी के पौधे यहाँ नफरतों में सारा जीवन, जाएगा गुजर हर कोई सींचता, दुश्मनी के पौधे यहाँ नफरतों में सारा जीवन, जाएगा गुजर
प्रकृति में लिप्त जीवन का इतिहास, प्रकृति से निर्मित है जीवन की किताब। प्रकृति में लिप्त जीवन का इतिहास, प्रकृति से निर्मित है जीवन की किताब।
स्वयं के अंदर विश्वास का दीपक तुम हमेशा जलाए रखना। स्वयं के अंदर विश्वास का दीपक तुम हमेशा जलाए रखना।
शरीफ जा रहे दुतकारी, किसे कहोगे कल्याणकारी। शरीफ जा रहे दुतकारी, किसे कहोगे कल्याणकारी।
शीश कटाया है ना जाने कितने वीरों ने, मुझे भी अर्पित हो जाने दो। शीश कटाया है ना जाने कितने वीरों ने, मुझे भी अर्पित हो जाने दो।
सुख दुख बादल जैसे हैं आते हैं और जाते हैं। सुख दुख बादल जैसे हैं आते हैं और जाते हैं।
जब मनुष्य पैदा होता, उसी दिन से, ये किस्सा शुरू होता! जब मनुष्य पैदा होता, उसी दिन से, ये किस्सा शुरू होता!