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Diksha Bisht

Abstract Inspirational

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Diksha Bisht

Abstract Inspirational

कोरोना को रोकें

कोरोना को रोकें

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202

इसे कुदरत का कहर न समझ 

अपनी ही करनी का इम्तिहान है ये।।


कातिल इन मस्त हवाओं को न समझ 

अपनी ही गाड़ी का धुआं है ये।।


थम जाएगा ये प्रहर भी इक प्रहर के बाद

थोड़ा सब्र कर ले इस घड़ी के साथ।।


चलन तेरा भी जबरदस्त था बन्दे 

अब ठहरने मात्र का वक्त है।।


छलिया तो तू भी कम न निकला

तनिक सुइयों का न छलावा भी देख ले।।


कभी तेरी दस्तक पे वो थमा करता था

अब उसकी आरजू पे तुझे थमना है।।


कल तू दुनिया से गुफ्तगू किया करता था

आज उसकी कयामत , उसकी दीवानगी का कहर देख।।


इसे कुदरत का कहर न समझ

अपनी ही करनी का इम्तिहान है ये।।



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