मेरी हिंदी
मेरी हिंदी
हिंदी है अनमोल रतन
तू न करियो कभी इसका पतन
यह वाणी है जज्बातों की
यह वाणी है एहसासों की
यह हिंदी बड़ी संवेदी है
यह हिंदी ही उल्लास है
वो हर सैनिक जो सीमा पर
छाती में उसके हिंदी है।
हर भाव अधूरा रह जाता,
जब जुबां पे इंडिया आता है
पर भावपूर्ण ह्रदय हो जाए
भारत मां जब रुह बुलाएं।
यह'अ' अक्षर अज्ञानी से ही
ज्ञ अक्षर ज्ञानी बतलाती।
हिंदी है अनमोल रतन
तू न करियो कभी इसका पतन
ये वाणी है जज्बातों की
ये वाणी है एहसासों की।
