आशिकी
आशिकी
कुछ तो खूबियां रहीं होंगी,
यों कोई गैर - निजी तो नहीं होता।
गलतफहमियों के घेरे में खो गए हम,
कि मेरे अपनो में इतना उभर गए तुम।
कि नींदों में भी नींदें नहीं,
कोई तो गहरा निशां रहा होगा।
जो पल में चुरा लिया दिल तूने,
ईश्क ए मैदां का खिलाड़ी रहा होगा।
और मेरी आंखों में अपनी ही तस्वीर छांप ली,
आशिक यकीनन पुराना रहा होगा।