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Diksha Bisht

Abstract Fantasy

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Diksha Bisht

Abstract Fantasy

दिल से दिल तक

दिल से दिल तक

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तेरी बाहें मेरी बाहों की कीमत हो

मेरी सांसें तेेरी सांसों का तोल हो

तेरा हर सुख मेरे दुःख का और

मेरा हर सुख तेरे दुःख का तोड़ हो


तू मुझमें और मैं तुुुझमे लिप्त हो

मेरी चाहत कि तू हंसता रहें

मैं मेेी चाहत में मगरुर हो जाऊं।।


तेरी छुअन मेरी धडकनों का एहसास हो

मेरी छुअन तेरी खुश्बू से परिपूर्ण हो

तेरी आंखों में पल पल मेेरा जिक्र हो

मेरी पलकों में तेरे दीदार की तड़प हो 

तेरे होठों पे मेरे इश्क की निशानी हो


मेरा तन मन तेरी मुहब्बत का गुलाम हो 

मेरा ख्वाब कि तू मेेरी गुफ्तगू का कारण हो 

तेरी सलाााी मेरी रातह का पैगाम हो

मेरी चाहत कि तू हंसता रहें

मैं मेरी चाहत में मगरुर हो जाऊं।।


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