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कोई शिकवा नहीं है

कोई शिकवा नहीं है

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कोई शिकवा नहीं है

तुझसे ऐ ज़िन्दगी।

आँसू दिए हजारों तो

लाखों के सबक भी दिए।

हर कदम पे गिराया

पर उठना भी सिखाया।

कदम कदम पर

तूने मरहम भी किए।


तू सिखाती रही,

मैं भूलता रहा, नतीजे,

दगा मिले बहुत और

तुझसे सजा भी मिले।

तुझसे नफरत क्या करूँ

तेरा एहसान बहुत है।

ग़म तो दिए बहुत

पर मज़े भी किए।


जा, ना बात कर मुझसे

मैं नाराज़ हूँ तुझसे।

क्यों जा रही है दूर,

मुझे छोड़ मौत के लिए?


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