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Kawaljeet Gill

Abstract

4  

Kawaljeet Gill

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कोई बताये जरा

कोई बताये जरा

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वो जो दिल मे किसी को बसा कर

दिल तोड़ देते हैं

वो जो वादे करके अपने वादे तोड़ देते हैं

वो जो सपने दिखाकर सपने चकनाचूर कर देते हैं

वो जो बीच राह में साथ छोड़ देते हैं


वो जो हर पल हर घड़ी झूठ बोलते हैं

वो जो रिश्तो की कद्र नही करते रिश्ते तोड़ देते हैं

वो जो किसी के आंसुओं की वजह बन जाते हैं

वो भी हत्यारे ही कहलाते है वो भी हत्यारे ही होते हैं।


वो जो किसी माँ से उसके बच्चे को दूर कर देती है

वो जो किसी बहन से उसके भाई को जुदा कर देती है

वो जो घर बसाती नही घरो को तोड़ती है


वो जो अपना हर फ़र्ज़ निभाती नहीं 

वो जो सास ससुर को वृद्ध आश्रम का रास्ता दिखाती है

वो जो चन्द रुपयों की खातिर अपने सुहाग को धोखा दे देती है

वो भी तो हत्यारिन कहलाती है।


हत्यारा कौन नही है भला ये हमको बताओ तो जरा

हर किसी के हाथ खून से रंगे है इस जहान में

किसी को जान से मारने से कम नहीं है ये अपराध


जो भूले से या जानबूझकर हर कोई करता है

ख़ंजर चलाने से ही कोई हत्यारा नहीं बन जाता है

किसी का दिल दुखाने वाले भी हत्यारे ही कहलाते हैं।


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